श्री गणेशाय नमः
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प्रभु प्रेरणा से लेखन द्वारा चन्द्रशेखर करवा

लेख सार : क्या हमने इस मानव जीवन की कभी बैठकर समीक्षा की है कि प्रभु ने हमें यह अनमोल मानव जन्म क्यों दिया है और हमारा मानव जीवन किस दिशा में बीत रहा है । पूरा लेख नीचे पढ़ें -



क्या हम अपने किसी जन्मदिन पर 3 घंटे अपनी ठाकुरबाड़ी में प्रभु के सामने बैठकर इस बात का आकलन करते हैं कि प्रभु ने कृपा और दया करके हमें मनुष्य जन्म क्यों दिया है ?


मनुष्य जन्म हमें प्रभु प्राप्ति के लिए ही मिला है । भोग भोगने के लिए तो अन्य सभी योनियां हैं । भोजन, निद्रा, मैथुन तो पशु-पक्षी और जलचर की योनि में भी होता है । मनुष्य जन्म चौरासी लाख योनियों के बाद प्रभु प्राप्ति के लिए ही हमें मिला है । क्या हम कभी सोचते हैं कि इस दिशा में हमने कितनी प्रगति की है ? क्या हम इसका विचार कभी अपने जन्मदिन पर करते हैं ?


पिछले जन्मदिन से इस जन्मदिन तक हमारा प्रभु प्राप्ति के लिए उपयोग में आने वाला एक बहुमूल्य वर्ष बीच में बीत जाता है । क्या हम कभी उस एक बीते वर्ष का लेखा-जोखा बनाते हैं कि उसमें हमें क्या करना था और हमने क्या किया ? ज्यादातर लोग ऐसा कुछ नहीं करते और सुबह दस मिनट के लिए मंदिर जाकर पूरा दिन मौज मस्ती में परिवार वालों और दोस्तों के साथ व्यतीत कर देते हैं ।


हर व्यक्ति एक निश्चित अवधि लेकर मनुष्य जन्म लेता है । एक-एक जन्मदिन बीतते जाने पर वह अवधि कम होती चली जाती है । जैसे-जैसे एक-एक वर्ष बीतता है प्रभु प्राप्ति के लिए उपलब्ध हमारी अवधि कम होती चली जाती है । बुढ़ापे तक भी हम सचेत नहीं होते और हमारी पूरी अवधि बीत जाती है और हम मृत्यु को प्राप्त होते हैं । इस तरह वह मनुष्य जन्म बेकार चला जाता है, व्यर्थ चला जाता है । फिर से हमें चौरासी लाख योनियों में भटकना पड़ता है ।


पर जब जीवन में सत्संग मिलता है, श्रीग्रंथों का अध्ययन होता है, प्रभु कथा का श्रवण होता है तो हमें मनुष्य जन्म का महत्व समझ में आता है । यह हीरे जैसा कितना अनमोल मनुष्य जन्म है जिसका सदुपयोग करके हम कृतार्थ हो सकते हैं ।


इस मनुष्य जन्म में प्रभु प्राप्ति के लिए की गई भक्ति हमारा इसी जन्म में उद्धार करा देती है । प्रभु भक्त की भक्ति पर रिझते आए हैं और उसे संसार के आवागमन से सदैव के लिए मुक्ति देते आए हैं । यह प्रभु का नियम है ।


भक्ति हमें प्रभु के श्री कमलचरणों तक पहुँचा देती है । ऐसे में उस मनुष्य जन्म में की गई भक्ति के कारण वह मनुष्य जन्म उस जीव का अंतिम जन्म बन जाता है और वह चौरासी लाख योनियों में आवागमन से सदैव के लिए मुक्त हो जाता है ।


इसलिए अपने हर जन्मदिन पर पिछले वर्ष हमने प्रभु प्राप्ति की दिशा में कितनी प्रगति की यह हमें देखना चाहिए । साथ ही आने वाले वर्ष के लिए प्रभु प्राप्ति हेतु किए जाने वाले प्रयास की दिशा भी तय करनी चाहिए । वर्ष के बाद वर्ष ऐसी समीक्षा होनी चाहिए जिससे हमारा प्रभु प्रेम और प्रभु भक्ति बढ़ती ही चली जाए ।